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खादर में गंगा का पानी भरने से बिगड़े हालात, फसलें बर्बाद, चारे का संकट


HALCHAL INDIA NEWS

ब्रजघाट (संवाददाता): गंगा नदी का जलस्तर पिछले तीन दिनों से भले ही स्थिर बना हुआ हो, लेकिन खादर क्षेत्र के गांवों और खेतों में भरा पानी लोगों की मुश्किलें कम नहीं कर रहा। खेतों में जलभराव के कारण फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं और पशुपालकों को हरे चारे के अभाव में भूसे पर निर्भर होना पड़ रहा है।

खेती ठप, किसान बेहाल

लठीरा, नयाबांस, गंगानगर और आस-पास के गांवों में गंगा का पानी खेतों तक पहुंच चुका है। स्थानीय किसान काबल सिंह, मनवीर और रामबीर ने बताया कि खेतों में कई दिनों से पानी जमा है, जिससे खेती-किसानी पूरी तरह से रुक गई है। ट्यूबवेल भी जलमग्न हो चुके हैं, जिससे सिंचाई व्यवस्था ठप हो गई है।

नयाबांस के किसान मानक सिंह ने कहा कि खेतों में करीब 1000 बीघा में खड़ी हरे चारे की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। चारे की आपूर्ति रुकने से पशुओं को भूसा खिलाना मजबूरी बन गया है। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो पशु आहार का संकट और गहराएगा।



मुआवजे की मांग तेज

किसानों ने प्रशासन से फसल का स्थलीय निरीक्षण कराकर शीघ्र मुआवजा दिलाने की मांग की है। उनका कहना है कि बरसात और गंगा के उफान ने मेहनत पर पानी फेर दिया है, ऐसे में सरकारी सहायता की दरकार है।

गंगानगर में जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त

ब्रजघाट क्षेत्र में गंगा के टापू पर बसा गंगानगर गांव पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है। ग्रामीणों को खाना बनाने और दैनिक कार्यों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने साफ पानी और सूखी जगहों की व्यवस्था की मांग की है।



जलस्तर पर प्रशासन की नजर

केंद्रीय जल आयोग के गेज रीडर आबाद आलम के अनुसार, गुरुवार को गंगा का जलस्तर 199.06 मीटर रिकॉर्ड किया गया है। वहीं, एसडीएम श्रीराम सिंह ने बताया कि हालात नियंत्रण में हैं और जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

"जलस्तर पिछले कुछ दिनों से स्थिर है। यदि इसमें गिरावट आती है तो राहत की स्थिति बन सकती है। प्रशासन पूरी सतर्कता से निगरानी कर रहा है।"

— श्रीराम सिंह, एसडीएम





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