गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। गंगा का जलस्तर भले ही थमता नजर आ रहा हो, लेकिन खादर क्षेत्र के किसानों की मुश्किलें अब भी जस की तस बनी हुई हैं। खेतों में भरा पानी सब्जी की फसलों को पूरी तरह से खराब कर चुका है, वहीं पशुओं के लिए चारे का संकट गहराता जा रहा है। स्थिति यह है कि गांवों में आवाजाही के लिए लोगों को अब भी नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।
खादर के अधिकांश हिस्सों में तोरई, लौकी, टमाटर जैसी सब्जियों की फसलें पूरी तरह से गल चुकी हैं। खेतों में खड़े धान और गन्ने की फसल भी खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। पॉलेज व हरे चारे की कमी से पशुपालक चिंतित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रोजमर्रा के काम-काज ठप हैं और चारा लाने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।
गांवों में लंबे समय से पानी भरा होने के कारण संक्रमण और बीमारी फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है। ग्रामीण प्रशासन से स्वास्थ्य शिविर और छिड़काव की मांग कर रहे हैं।
इस संबंध में एसडीएम श्रीराम सिंह ने बताया कि फिलहाल जलस्तर स्थिर है, लेकिन जब तक गंगा का पानी पूरी तरह से नहीं उतरता, तब तक फसल नुकसान का आकलन संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि जैसे ही हालात सामान्य होंगे, तहसील स्तर की टीम सर्वे कर मुआवजा प्रक्रिया शुरू करेगी।
प्रशासन लगातार जलस्तर पर नजर बनाए हुए है और स्थिति सामान्य होते ही राहत कार्यों को गति दी जाएगी।
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