HALCHAL INDIA NEWS
हापुड़, — हापुड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मानसिक रोगों के बढ़ते मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। फिजिशियन डॉ. अशरफ अली के निर्देश में चल रहे उपचार में लगभग 25 मरीजों में शिज़ोफ्रेनिया के स्पष्ट लक्षण सामने आए हैं, जबकि एंग्जायटी और डिप्रेशन से पीड़ित मरीजों की संख्या इससे कई गुना अधिक बताई जा रही है।
सीएचसी के प्रभारी डॉ. अशरफ अली ने बताया कि शिज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मनोरोग है जिसमें मरीज वास्तविकता और काल्पनिक अनुभव में फर्क नहीं कर पाते। कई मरीजों को आवाजें सुनाई देने जैसी समस्याएँ हो रही हैं और उनका सोचने व व्यवहार करने का तरीका प्रभावित है। ऐसे रोगियों की पहचान कर, पहले काउंसलिंग की जाती है और फिर चिकित्सकीय दवाइयों के माध्यम से इलाज शुरू किया जाता है।
डॉ. अली ने कहा, “जब समय पर और सही उपचार शुरू किया जाए तो दो-तीन महीने में मरीजों की हालत में महत्वपूर्ण सुधार देखा जा सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि हुई है, इसलिए अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ चिकित्सकों को मनोरोग-प्रशिक्षण भी दिया गया है।
अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक़ कई परिवार रोग के सही कारण को न समझकर झाड़-फूंक और तांत्रिक इलाजों पर निर्भर रहते हैं। डॉ. अली ने चेताया कि अंधविश्वास के कारण अक्सर रोगी का इलाज देर से होता है और तब उनकी स्थिति गंभीर होने लगती है। “परिजनों को चाहिए कि वे समय पर चिकित्सक से संपर्क करें; इलाज संभव है और मरीज पूर्णतः ठीक भी हो सकते हैं,” उन्होंने कहा।
सीएचसी में चल रही काउंसलिंग में रोगियों के साथ परिजनों को भी मानसिक रोगों की जानकारी दी जा रही है ताकि स्टिग्मा (कलंक) कम हो और सही देखभाल मिल सके। अस्पताल ने स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और समुदाय को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी देने की योजना भी बनाई है।
स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि यदि समय रहते इलाज और पारिवारिक समर्थन दिया जाए तो मरीजों के सामाजिक व पारिवारिक जीवन में वापसी संभव है। वहीं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि समुदाय में जागरूकता बढ़ाई जाए और अंधविश्वास के आधार पर इलाज टालने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए।
अंत में, सीएचसी ने मरीजों व परिजनों से अपील की है कि किसी भी असामान्य व्यवहार, सुनने वाली आवाज़ या चरित्र में अचानक बदलाव होने पर देर न करें — विशेषज्ञ से सलाह लें और घरेलू तंत्र-मंत्र पर भरोसा करने की बजाय वैज्ञानिक इलाज कराएं।
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