HALCHAL INDIA NEWS
गढ़मुक्तेश्वर। धान और गन्ने की कटाई का सीजन शुरू होते ही खेतों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और खेत की उपजाऊ मिट्टी भी प्रभावित होती है। इसी को देखते हुए कृषि विभाग ने पराली जलाने वालों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। इस बार सेटेलाइट के जरिए खेतों की निगरानी की जा रही है।
कृषि विभाग के वरिष्ठ तकनीकी सहायक सतीशचंद्र शर्मा ने बताया कि पराली जलाने से न केवल वातावरण में जहरीले कण फैलते हैं, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी धीरे-धीरे घटती जाती है। धुएं में मौजूद सूक्ष्म कण सांस संबंधी रोगों को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा खेत में मौजूद मित्र कीट भी आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध है। 15 सितंबर से उपग्रह के माध्यम से निगरानी शुरू कर दी गई है, जो नवंबर तक जारी रहेगी। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर निगरानी टीमों का गठन किया गया है, जो गांव-गांव जाकर खेतों की जांच कर रही हैं।
जुर्माने का प्रावधान इस प्रकार है:
* दो एकड़ से कम भूमि पर पराली जलाने पर ₹5,000 का जुर्माना
* दो से पांच एकड़ तक ₹10,000
* पांच एकड़ से अधिक होने पर ₹30,000 तक का आर्थिक दंड लगाया जाएगा
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक साधनों का उपयोग करें, जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहे और खेत की उर्वरता भी बनी रहे।

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