HALCHAL INDIA NEWS
हापुड़। पौधरोपण अभियान में शुरुआत में शानदार प्रदर्शन करने वाला हापुड़ जिला अब प्रदेश में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। अगस्त माह के अपडेटेड आंकड़ों के अनुसार, जिले में लगाए गए पौधों में से हजारों सूख चुके हैं, जिससे जिले की रैंकिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
सिर्फ 96 फीसदी पौधे ही जीवित बचे
वन विभाग सहित 30 से अधिक विभागों ने जुलाई-अगस्त के बीच कुल 13,14,790 पौधे रोपे थे, लेकिन उनमें से 50,177 पौधे जीवित नहीं बच पाए। अब जिले में 12,64,613 पौधे ही जीवित हैं, जो लगभग 96 फीसदी हैं। यह आंकड़ा मुख्यमंत्री डैशबोर्ड की रैंकिंग में जिले के लिए घातक साबित हुआ।
पहले था टॉप पर, अब बना टेल-एंडर
मई से लेकर जुलाई तक जिले ने पौधरोपण और पौधों की देखभाल के क्षेत्र में प्रदेश भर में पहला स्थान हासिल किया था। सभी पौधों की जियो टैगिंग और निगरानी समय पर की गई थी। लेकिन अगस्त में हालात बदल गए और देखभाल में हुई लापरवाही के चलते रैंकिंग फिसलती चली गई।
जियो टैगिंग से होती है हर पौधे पर नजर
शासन द्वारा चलाई जा रही हरियाली योजना के तहत रोपे गए पौधों की जियो टैगिंग अनिवार्य है। इससे यह देखा जाता है कि पौधा वास्तव में लगाया गया या नहीं और उसकी स्थिति कैसी है। लेकिन विभागीय स्तर पर रिपोर्टिंग में गिरावट और निगरानी में ढिलाई के कारण जिले को अगस्त की रैंकिंग में 10 में से 0 अंक मिले।
अभी और गिर सकती है स्थिति
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी तरह पौधों की देखरेख में लापरवाही जारी रही, तो सितंबर की रिपोर्ट में हालत और खराब हो सकती है। गर्मी के असर, बारिश की कमी और पशुओं के कारण पौधों के बचाव में परेशानी सामने आ रही है।
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