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पिलखुवा (हापुड़)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गालंद गांव के निवासी अनूप तोमर और उनके भाई के खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट की विवेचना को दोषपूर्ण मानते हुए रद्द कर दिया है। न्यायालय ने साथ ही जिला अदालत को इस मामले में किसी भी तरह की आगे की कार्रवाई करने से रोकने के निर्देश भी जारी किए हैं।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2022 में पिलखुवा कोतवाली पुलिस ने अनूप व उनके भाई के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें दोनों को आरोपी बताया गया था।
हाईकोर्ट में याचिका में क्या कहा गया
अनूप ने हाईकोर्ट में दावा किया कि पुलिस की विवेचना शासनादेशों के अनुरूप नहीं की गई और जांच में कई प्रक्रियात्मक गलतियाँ हैं। उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक दबाव के चलते गलत तरीके से फंसाया गया था।
सुनवाई के बाद न्यायालय ने पाया कि जांच में व्यवस्थित त्रुटियाँ मौजूद हैं और इसलिए चार्जशीट व उससे जुड़ी सारी प्रक्रियाएँ रद्द की जाती हैं। अदालत ने अभियोजन को निर्देश दिए कि तब तक कोई भी कार्यवाही न की जाए जब तक स्पष्ट आदेश न मिलें।
पुलिस का रुख
इस संबंध में सीओ अनीता चौहान ने कहा कि अभी तक अदालत का आधिकारिक आदेश उनके पास नहीं पहुँचा है। आदेश मिलते ही पुलिस नियमों के अनुसार अगली कार्रवाई करेगी।
अनूप का बयान
अनूप तोमर ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उनकी बेगुनाही का पता चला है और न्याय मिलने पर वे संतुष्ट हैं।
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