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मिट्टी के बर्तनों से बनाई पहचान, इंद्रेश बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल


HALCHAL INDIA NEWS

हापुड़: हापुड़ जिले के सबली गांव की इंद्रेश ने मिट्टी के बर्तनों के जरिए अपनी रोज़ी-रोटी का रास्ता खोजकर दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उनके बनाए हुए कुल्हड़, सुराही, मलिया और गुल्लक इतने आकर्षक और टिकाऊ होते हैं कि लोग बिना सोचे-समझे खरीदने को मजबूर हो जाते हैं।

55 वर्षीय इंद्रेश ने बचपन में अपने पिता के साथ मिट्टी के बर्तन बनाना सीखा। शादी के बाद उन्होंने अपने पति सुरेश कुमार के साथ ससुराल में भी इस कला को जारी रखा।

इंद्रेश प्रतिदिन 500 से 1,000 कुल्हड़ बनाती हैं। इसके अलावा मटके, गुल्लक, परई, चाक के करवे, धड़ती के करवे और दीपावली पर जलाने वाले दीये भी तैयार करती हैं। उनके पति सुरेश इस काम में उनका पूरा सहयोग करते हैं।

थोक भाव में कुल्हड़ की कीमत एक रुपये प्रति पीस है। सहालग (त्योहारी सीज़न) में इन बर्तनों की मांग और बढ़ जाती है। इंद्रेश के बर्तन दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर और अन्य बड़े शहरों में भी सप्लाई किए जाते हैं। इस बार गर्मी के मौसम में मिट्टी के करवे विशेष रूप से तेज़ी से बिके।

इंद्रेश की मेहनत और हुनर ने दिखा दिया है कि मिट्टी की साधारण चीज़ों से भी व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकता है और गांव की पहचान भी बन सकती है।