सीएमओ ने दिए जांच के आदेश, चिन्हित होंगे लापरवाह संस्थान
हापुड़। जिले में संचालित कई निजी अस्पताल नवजात बच्चों के टीकाकरण को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं, जो न सिर्फ शासन की प्राथमिकता का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है। इस लापरवाही को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपनाया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुनील त्यागी ने ऐसे अस्पतालों को नोटिस जारी करने और पंजीकरण निरस्त करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग की जांच में खुलासा
स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई हालिया समीक्षा में सामने आया कि कई निजी अस्पतालों में बच्चों के नियमित टीकाकरण को लेकर कोई रुचि नहीं ली जा रही। जबकि सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर यह सेवा नियमित रूप से दी जा रही है।
टीकाकरण जैसे जीवनरक्षक अभियान को लेकर उदासीनता दिखाना, विभाग की नजर में गंभीर लापरवाही मानी गई है।
टीकाकरण सर्वोच्च प्राथमिकता: सीएमओ
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया—
“टीकाकरण को लेकर सरकार पूरी तरह सजग है। यह केवल एक स्वास्थ्य सेवा नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य सुरक्षा का हिस्सा है। यदि कोई निजी अस्पताल इस कर्तव्य को नहीं निभा रहा है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि सभी अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य है कि वे जन्म के बाद बच्चों को निर्धारित समय पर टीके लगवाएं या इसकी सुविधा उपलब्ध कराएं।
तय हुआ एक्शन प्लान
* जिले के सभी निजी अस्पतालों का सर्वेक्षण होगा
* टीकाकरण न करने वाले संस्थानों को नोटिस भेजे जाएंगे
* जवाब न मिलने या संतोषजनक सफाई न मिलने पर पंजीकरण निरस्त
* प्रतिरक्षण अधिकारी की निगरानी में चलाए जाएंगे निरीक्षण अभियान
क्यों जरूरी है यह कदम?
नवजात शिशुओं को दिए जाने वाले टीके न सिर्फ उन्हें घातक बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि पूरे समाज को संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
निजी अस्पतालों की लापरवाही के कारण कई परिवार समय पर टीकाकरण से वंचित हो जाते हैं, जिससे बच्चे विभिन्न संक्रामक रोगों के शिकार हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे बच्चों के जन्म के तुरंत बाद और तय अंतराल पर टीकाकरण जरूर करवाएं, चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या निजी।
Social Plugin