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जीएसटी के दायरे में आते ही भी टैक्स नहीं दे रहे कोचिंग संचालक, जांच में जुटा विभाग


मेरठ रोड स्थित एक संस्थान पर हो चुकी है छापेमारी, अन्य संस्थानों की सूची तैयार

हापुड़। शहर में तेजी से फैल रहे कोचिंग सेंटर अब वस्तु एवं सेवा कर (GST) विभाग के रडार पर हैं। विभाग को संदेह है कि कई संस्थान वार्षिक आय की तय सीमा पार करने के बावजूद जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंच रहा है।

जानकारी के अनुसार, यदि किसी कोचिंग संस्थान की सालाना आय 20 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे 18 फीसदी जीएसटी देना अनिवार्य होता है। इसके लिए जीएसटी पंजीकरण भी जरूरी है। लेकिन शहर में कई संस्थान ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक पंजीकरण नहीं कराया या फिर रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं।



विभाग ने शुरू की गहन जांच

विभाग ने अब ऐसे सभी कोचिंग सेंटरों की पहचान शुरू कर दी है जो इस दायरे में आते हैं। साथ ही यह भी जांच हो रही है कि कहीं एक ही व्यक्ति के नाम पर एक से अधिक संस्थान तो नहीं संचालित हो रहे हैं। छात्रों की संख्या, ट्यूशन फीस, और मासिक कमाई के आधार पर विभाग संस्थान की वास्तविक आय का आकलन कर रहा है।

इसी क्रम में सितंबर माह की शुरुआत में मेरठ रोड पर स्थित एक कोचिंग सेंटर पर विभाग की टीम ने औचक निरीक्षण किया था। वहां से मिले दस्तावेजों की जांच के बाद अन्य संस्थानों की फेहरिस्त भी तैयार की जा रही है।



टैक्स चोरी पर होगी सख्त कार्रवाई

जीएसटी एसआईबी के संयुक्त आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर जिले के सभी कोचिंग सेंटरों की जांच की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी संस्थान टैक्स चोरी में संलिप्त पाया जाएगा, उस पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

"कोचिंग सेवाएं जीएसटी के तहत आती हैं और इस पर 18 प्रतिशत टैक्स लागू है। विभाग पूरी पारदर्शिता से जांच कर रहा है। संस्थानों से संबंधित सभी आर्थिक गतिविधियों की पड़ताल की जा रही है।"

— अजय प्रताप सिंह, संयुक्त आयुक्त, जीएसटी एसआईबी