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गढ़मुक्तेश्वर। अब ग्राम पंचायत सचिवालयों में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भुगतान की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और डिजिटल हो गई है। शासन के निर्देश पर जन्म, मृत्यु और निवास प्रमाण पत्रों के लिए अब क्यूआर कोड के माध्यम से शुल्क जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस पहल का मकसद है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही अनियमित वसूली पर लगाम लगाई जा सके।
डिजिटल भुगतान से खत्म होगा नकद लेनदेन
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक लोग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पंचायत सहायकों या सचिवों को नकद भुगतान करते थे। इस प्रक्रिया में कई बार अधिक राशि वसूलने की शिकायतें आती थीं। अब शासन की नई व्यवस्था के तहत सभी पंचायत सचिवालयों में यूपीआई आधारित क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं, जिससे शुल्क सीधे पंचायत खाते में जाएगा।
दो माह बाद बनने वाले प्रमाण पत्रों में होती है जांच
गांव में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु या बच्चे के जन्म के दो माह के भीतर संबंधित प्रमाण पत्र सीएमओ कार्यालय से जारी किया जाता है। यदि यह अवधि बीत जाती है, तो प्रमाण पत्र जारी करने से पहले तहसील स्तर पर जांच कराई जाती है, जिसके बाद विकास खंड कार्यालय के माध्यम से प्रमाण पत्र जारी होता है। ऐसे मामलों में ही अधिक राशि वसूली की शिकायतें ज्यादा मिलती थीं।
नई व्यवस्था से होगा सीधा लाभ
शासन का मानना है कि इस डिजिटल व्यवस्था से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि ग्रामीणों को भी भरोसेमंद सेवा मिलेगी। अब किसी भी लाभार्थी को नकद भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। प्रत्येक पंचायत घर में स्थायी क्यूआर कोड लगाया जा रहा है, जिसे स्कैन कर लोग निर्धारित शुल्क आसानी से जमा कर सकेंगे।
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है—
"इस व्यवस्था से पंचायतों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगेगा।"
मुख्य बातें:
* प्रमाण पत्र शुल्क का भुगतान अब सिर्फ क्यूआर कोड से ही
* पंचायत सचिवालयों में नकद लेनदेन पर रोक
* शुल्क सीधे पंचायत के बैंक खाते में जमा होगा
* अवैध वसूली की शिकायतों को रोकने की पहल
* सभी पंचायत भवनों में यूपीआई आधारित क्यूआर कोड चस्पा किए जा रहे
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