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सिंभावली शुगर ग्रुप बिकने की अफवाह खारिज, आईआरपी ने कहा — किसानों को हर सप्ताह भुगतान मिलेगा


HALCHAL INDIA NEWS

हापुड़। सिंभावली शुगर ग्रुप के बिक जाने की चर्चा को लेकर फैली अटकलों को बैंक नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुराग गोयल ने साफ तौर पर अफवाह बताया। उन्होंने कहा कि समूह न तो बिक रहा है और न ही किसानों के भुगतान रुकेंगे — भुगतान अब साप्ताहिक आधार पर जारी रहेगा। साथ ही, पिछले बारह-चौदह वर्षों से चली आ रही देनदारियों (रोलओवर) में भी सुधार हो रहा है।

जिले में सिंभावली व ब्रजनाथपुर मिलों से जुड़े लगभग 90 हजार से अधिक गन्ना किसानों पर यह खबर चिंता का विषय बनी हुई थी। बैंकों ने देनदारी के मसले के बाद पिछली व्यवस्थाओं को हटाकर अनुराग गोयल को आईआरपी नियुक्त किया था। उनके कार्यकाल में भुगतान, बिक्री और संचालन से जुड़े कई मुद्दे विवाद का कारण बने रहे हैं।



भुगतान में बढ़त का दावा

आईआरपी अनुराग गोयल ने प्रेसवार्ता में बताया कि पिछले 14 महीनों में लगभग 644 करोड़ रुपए का भुगतान रिकॉर्ड रूप में कराया गया है। उन्होंने कहा कि चालू सत्र (अक्टूबर 2024—मार्च 2025) में मिली चीनी कोटा से अधिक बिक्री भी हुई, जिसका लाभ सीधे तौर पर किसानों के भुगतान में दिखा है। गोयल के मुताबिक, चीनी की बिक्री से प्राप्त राशि में से 85 प्रतिशत भुगतान किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जा चुका है।

चीनी की बिक्री व गोदाम मुद्दे पर सफाई

कुछ आवाजें उठीं कि गोदाम में रखी लगभग 75 हजार क्विंटल चीनी को बाजार भाव से कम पर बेचा गया। इस पर आईआरपी ने स्पष्ट किया कि बिक्री प्रक्रिया मानकों के अनुसार हुई और विक्रय का निर्णय संबंधित समिति ने लिया — यह कोई एकतरफा निर्णय नहीं था।



कार्यकर्ताओं के सवालों पर हलचल

प्रेसवार्ता के दौरान भाकियू (अराजनैतिक) जिलाध्यक्ष पवन हूण व अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। उन्होंने भुगतान, ब्याज दावों और संचालन से जुड़े कई सवाल उठाए जिससे मौके पर कुछ देर के लिए हंगामा हुआ। बाद में आईआरपी व अधिकारियों ने चरणबद्ध जवाब दिए और कहा कि बकाया व्याज दावों के निपटारे की तैयारी चल रही है, हालांकि कुछ प्रक्रियागत अड़चनें बनी हुई हैं जिन्हें शीघ्र ही दूर किया जाएगा।

आईआरपी का आश्वासन

अनुराग गोयल ने कहा — “मिल न बिकेगी और किसानों के प्रतीक्षित भुगतान रुकेगा नहीं। हमने भुगतान की गति बढ़ाई है और बकाए निपटाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जैसे ही शेष तकनीकी और कानूनी अड़चनें दूर होंगी, किसानों को लंबित राशि और ब्याज समेत वे भुगतान मिलेंगे जिनकी उन्हें वर्षो से उम्मीद है।