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बाढ़ के बाद फैली बीमारियां, गांवों में चिकित्सा शिविर की मांग तेज


HALCHAL INDIA NEWS

गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। गंगा का जलस्तर घटने के बाद जहां एक ओर खादर क्षेत्र के गांवों ने राहत की सांस ली है, वहीं दूसरी ओर संक्रामक रोगों का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। खेतों में पानी भरने से जहां फसलें बर्बाद हो गईं, वहीं अब बुखार और डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से नियमित चिकित्सा कैंप लगाने और दवाओं की व्यवस्था करने की मांग की है।



गंगा का कहर थमा, पर नई मुसीबतें शुरू

बीते एक महीने में गंगा के जलस्तर में तीन बार तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली। हालांकि अब पानी का स्तर कम हुआ है, लेकिन बाढ़ के प्रभाव से गांवों की संपर्क सड़कें टूट गई हैं, और खेतों में भरा पानी अब तक निकला नहीं है।

गड़ावली, लठीरा, नयाबांस और मंढैया किशन सिंह जैसे गांवों के हालात अभी भी गंभीर हैं। वहां के रास्तों पर पानी भरा हुआ है, जिससे लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है।

संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ा

गांवों में लगातार बुखार, उल्टी-दस्त और डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जलभराव और साफ-सफाई की कमी के चलते बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते स्वास्थ्य शिविर नहीं लगाए गए, तो स्थिति और खराब हो सकती है।

पशुओं के लिए चारे में भी गंदगी मिलने से बीमारी फैलने लगी है। चारे पर मिट्टी की परत जमने से दूध देने वाले पशु भी बीमार हो रहे हैं।



बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित

पानी भरे रास्तों के कारण छोटे बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। खासकर बाहरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को कई किलोमीटर का चक्कर काटकर जाना पड़ रहा है, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

प्रशासनिक टीमें सक्रिय

एसडीएम श्रीराम यादव ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने सफाई अभियान तेज करने और ग्रामीणों को हरसंभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए। वहीं, सीएचसी प्रभारी डॉ. शशि भूषण ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर मरीजों का परीक्षण कर रही हैं और जरूरी दवाएं दी जा रही हैं।



ग्राम प्रधानों की प्रमुख मांगें

* निरंजन सिंह (लठीरा)

* प्रेम सिंह राणा (गड़ावली)

* सुशील राणा (नयागांव)

* टीकम सिंह (न्यामतपुर)

इन ग्राम प्रधानों ने संयुक्त रूप से प्रशासन से प्रत्येक बाढ़ प्रभावित गांव में नियमित चिकित्सा कैंप और दवा वितरण की मांग की है। उनका कहना है कि स्थानीय स्तर पर त्वरित स्वास्थ्य सेवाएं ही संक्रमण की रोकथाम में मददगार हो सकती हैं।