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नावों के सहारे जिंदगी, चारे और राशन की किल्लत से जूझ रहे खादर के ग्रामीण


HALCHAL INDIA NEWS

गंगा का पानी घटा, पर खेतों और रास्तों में जलभराव से जनजीवन अब भी अस्त-व्यस्त

गढ़मुक्तेश्वर। गंगा के घटते जलस्तर ने भले ही बाढ़ के खतरे को कम कर दिया हो, लेकिन खादर क्षेत्र के दर्जनभर गांवों में हालात अभी भी सामान्य नहीं हो सके हैं। गांवों की गलियों से लेकर खेतों तक पानी भरा है, जिससे लोगों को नाव के सहारे आना-जाना करना पड़ रहा है। उधर, राशन और पशुचारे की भारी किल्लत ने ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।


जलभराव से खेत बन गए तालाब

खादर के गडावली, चक लठीरा, कुदैनी, इनायतपुर सहित करीब 12 गांव सबसे अधिक प्रभावित हैं। यहां के किसानों की मानें तो खेतों में जलभराव की वजह से खेती पूरी तरह ठप है। गडावली निवासी किसान दीपक कुमार ने बताया कि खेतों में पानी खड़ा है, जिससे न तो बुआई हो पा रही है और न ही चारा उपलब्ध हो रहा है। पशुओं को खिलाने के लिए दूर-दराज से घास लानी पड़ रही है।

नाव ही एकमात्र विकल्प

सड़कें पानी में डूबी हैं और पैदल निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में ग्रामीणों को नाव से ही जरूरी सामान लाना और अस्पताल तक पहुंचना पड़ रहा है। कई परिवारों का कहना है कि बुजुर्गों और बच्चों को नाव से लाना-ले जाना जोखिम भरा हो गया है, लेकिन कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।



प्रशासन से मदद की आस

ग्रामीणों ने प्रशासन से राशन, चारा और मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अभी तक कोई पुख्ता राहत व्यवस्था नहीं पहुंची है और सरकारी मदद की रफ्तार बेहद धीमी है।

गंगा का जलस्तर घटा, मगर राहत दूर

केंद्रीय जल आयोग के गेज रीडर आबाद आलम के अनुसार, मंगलवार शाम को ब्रजघाट में गंगा का जलस्तर 198.41 मीटर रिकॉर्ड किया गया। बीते चार दिनों से जलस्तर में गिरावट देखी जा रही है, लेकिन जल निकासी की व्यवस्था न होने से गांवों में पानी जमा है, जो लोगों की परेशानियों को कम नहीं होने दे रहा।