HALCHAL INDIA NEWS
गढ़मुक्तेश्वर। सर्दियों में पाले से फसल को काफी नुकसान पहुंच सकता है। अगर समय पर बचाव न किया गया तो उत्पादन कम होने के साथ किसानों को आर्थिक हानि भी हो सकती है।
कृषि विभाग के वरिष्ठ तकनीकी सहायक सतीशचंद्र शर्मा ने बताया कि पाले की वजह से पौधों की कोमल टहनियां, पत्तियां और फूल-फलियां झुलस सकती हैं। गंभीर मामलों में पौधे पूरी तरह नष्ट भी हो सकते हैं। मौसम के रुझान के मुताबिक, इस बार पाले की संभावना पिछले साल की तुलना में अधिक है।
शर्मा ने बताया कि उत्तर भारत में आमतौर पर 15 दिसंबर से 15 फरवरी के बीच पाला पड़ता है। रात के चौथे पहर में साफ मौसम, हवा की कमी और ठंडे तापमान की स्थिति पाले के लिए अनुकूल होती है।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे समय रहते फसल की सुरक्षा के उपाय अपनाएं ताकि नुकसान से बचा जा सके।

.jpeg)
.jpeg)
.jpeg)
.jpeg)




Social Plugin