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अधूरे कागजात बने वजह, कार्यों की शुरुआत में लगेगा वक्त
हापुड़। नगर पालिका परिषद द्वारा 15वें वित्त आयोग की निधि से कराए जाने वाले 23 निर्माण कार्यों की निविदाएं निरस्त कर दी गई हैं। कारण बताया गया है कि निविदा दाखिल करने वाली फर्मों ने पूरा दस्तावेजी विवरण नहीं दिया, जिससे प्रक्रिया नियमों के अनुसार आगे नहीं बढ़ सकी।
जिलाधिकारी की मौजूदगी में तय हुए थे कार्य
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में वार्डवार जरूरी विकास कार्यों को चिह्नित किया गया था। इसके बाद पालिका प्रशासन ने 15वें वित्त आयोग से प्राप्त बजट के तहत टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी।
ठेकेदारों पर 'मैनेजमेंट' के आरोप
निविदा प्रक्रिया शुरू होते ही कुछ स्थानीय ठेकेदारों ने यह आरोप लगाए कि टेंडर पूर्व नियोजित तरीके से कुछ खास लोगों को देने की तैयारी है। इन आरोपों के बीच, पालिका प्रशासन ने दस्तावेजों की जांच के बाद सभी 23 निविदाएं रद्द कर दीं।
पूर्व में भी काम कर चुके हैं कई ठेकेदार
सूत्रों का कहना है कि जिन फर्मों के टेंडर रद्द हुए हैं, वे पहले भी नगर पालिका के साथ निर्माण कार्य कर चुकी हैं। ऐसे में उनका दस्तावेज अधूरा होना सवाल खड़े करता है। जानकारों का मानना है कि चूंकि 15वें वित्त आयोग के कार्यों में जिलाधिकारी की मंजूरी अनिवार्य होती है, इसलिए किसी तरह की अनियमितता सामने आने से पहले ही निविदाएं खारिज कर दी गईं।
अधिशासी अधिकारी ने दी सफाई
अधिशासी अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि सभी टेंडर निर्धारित छह दस्तावेजों की पूर्ति पर ही स्वीकृत किए जाते हैं। जिन फर्मों के कागजात अधूरे थे, उनकी निविदाएं निरस्त की गई हैं।
"नियमों से समझौता नहीं किया जाएगा। प्रक्रिया पारदर्शिता से दोबारा शुरू की जाएगी," उन्होंने कहा।
विकास कार्यों पर पड़ेगा असर
इन निविदाओं के रद्द होने से अब यह तय है कि निर्माण कार्यों की शुरुआत में देरी होगी। दोबारा टेंडर जारी करने, प्रक्रिया पूरी करने और स्वीकृति मिलने में समय लगेगा। इससे जनता को कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।
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