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हापुड़। गरीबों के लिए भेजा गया सरकारी राशन अब बेधड़क बाजार में बिक रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी केवल कागज़ों में जांच चलने का दावा कर रहे हैं। एफसीआई से उठान के बाद ही राशन के ट्रकों से अनाज गायब होना यह संकेत देता है कि खेल सड़क से नहीं, ऊपर से खेला जा रहा है।
शहर के कई बाजारों और मंडियों में खुलेआम पीले रंग की बोरियों में रखा गेहूं और चावल सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से सरकारी कोटे का राशन है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह “डील” विभागीय मिलीभगत से ही मुमकिन हो पाती है।
ट्रकों से ही शुरू हो रही गड़बड़ी
एफसीआई गोदाम से जैसे ही राशन से लदे ट्रक निकलते हैं, कुछ ही घंटों में उसका हिस्सा गायब हो जाता है। एक ट्रांसपोर्ट कर्मचारी ने बताया,
“राशन की चोरी कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब यह रोज़ का काम बन गया है। ऊपर तक हिस्सा जाता है, इसलिए कोई कुछ नहीं कहता।”
मंडियों में सस्ते दाम, गोदामों में घपले
शहर के पक्का बाग, मंडी क्षेत्र और आंतरिक बाजारों में सस्ते दाम पर राशन बेचने की शिकायतें पहले भी सामने आ चुकी हैं। हाल ही में पोषाहार का सरकारी स्टॉक भी खुले में बिकता पकड़ा गया था, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी किसी महिला कार्यकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह प्रशासनिक उदासीनता को ही उजागर करता है।
मुकदमा दर्ज कराने में भीला-भीली
बीते सप्ताह एफसीआई से जुड़ी एक गंभीर शिकायत लेकर खाद्य विपणन अधिकारी कौशल देव कोतवाली पहुंचे, लेकिन तहरीर में कमियां और डीएम की संस्तुति न होने के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी। मामला एक दिन तक अटका रहा, शुक्रवार को तहरीर में संशोधन के बाद ही मुकदमा दर्ज किया गया।
कार्रवाई या बचाव?
जानकारों का कहना है कि मामले को जानबूझकर धीमा किया गया, ताकि संबंधित अधिकारियों को समय रहते बचाया जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामलों में सिर्फ कागजी कार्यवाही तक ही कार्रवाई सीमित रह गई है।
प्रशासन का पक्ष
"जांच टीमें गठित कर दी गई हैं। जहां भी सरकारी राशन निजी हाथों में पाया गया, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
— संदीप कुमार, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन)
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