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गढ़मुक्तेश्वर। गंगा में आई बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे घट रहा है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। खेत और खलिहान अब भी जलभराव की चपेट में हैं, जिससे पशुओं के लिए चारे का संकट गहराता जा रहा है।
गंगा का जलस्तर बीते तीन दिनों में 11 सेंटीमीटर कम हुआ है, लेकिन खेतों में पानी की निकासी न होने के कारण किसान 5 से 6 किलोमीटर दूर जाकर चारा जुटा रहे हैं। इससे पशुपालन करने वाले परिवारों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है।
जलस्तर घटा, लेकिन खतरे से पूरी तरह बाहर नहीं
केंद्रीय जल आयोग के गेज रीडर आबाद आलम के अनुसार, रविवार को ब्रजघाट में गंगा का जलस्तर 199.00 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से करीब 33 सेंटीमीटर नीचे है। इसके बावजूद गांवों के आसपास जलभराव की स्थिति बनी हुई है, जिससे फसलें डूबी हुई हैं और चारा भी सड़ रहा है।
पशुओं की देखभाल बनी चुनौती
मिश्रीपुर, लठीरा, गडावली और आसपास के गांवों में किसान अब जंगलों और दूर-दराज के खेतों से चारा ढोकर ला रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ की मार से न सिर्फ खेती बल्कि पशुधन की देखभाल भी मुश्किल हो गई है।
किसानों की मांग: बांध हों मजबूत, निकासी के पुख्ता इंतजाम हों
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ से फसल और चारा डूब जाता है, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। किसानों ने मांग की है कि गंगा किनारे तटबंधों की मजबूती के साथ जलनिकासी की समुचित व्यवस्था की जाए।
प्रशासन रख रहा नजर
एसडीएम श्रीराम ने जानकारी दी कि प्रशासन की ओर से गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है और बाढ़ प्रभावित इलाकों में हरसंभव सहायता देने का प्रयास किया जा रहा है।
“हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन हम पूरी सतर्कता के साथ निगरानी कर रहे हैं। ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जा रही है।”
— श्रीराम, उपजिलाधिकारी
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