HALCHALINDIANEWS
हापुड़। जनपद के हजारों गन्ना किसानों को समय पर भुगतान न मिलने से नाराजगी बढ़ती जा रही है। सिंभावली शुगर ग्रुप में अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की नियुक्ति के बाद से भुगतान व्यवस्था और अधिक धीमी हो गई है। अब तक कुल देय राशि का केवल 45 प्रतिशत ही भुगतान हो सका है, जबकि पिछले वर्षों में यह आंकड़ा अगस्त माह तक 65 प्रतिशत तक पहुंच जाता था।
इस मामले को लेकर अब गन्ना सहकारी समितियां भी सक्रिय हो गई हैं। वे 26 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आईआरपी के खिलाफ पक्ष रखने की तैयारी कर रही हैं।
दो मिलों पर 293 करोड़ से अधिक का बकाया
गन्ना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले की दो प्रमुख चीनी मिलों — सिंभावली और ब्रजनाथपुर — पर किसानों का कुल 293 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। यह राशि देय भुगतान का करीब 55 प्रतिशत है। लगभग 90 हजार गन्ना किसान इससे प्रभावित हैं।
जिला गन्ना अधिकारी बीके पटेल के अनुसार, जहां पहले हर माह लगभग 70 करोड़ रुपये का भुगतान होता था, अब वह घटकर सिंभावली मिल से 30 करोड़ और ब्रजनाथपुर से 15-18 करोड़ रह गया है।
"आईआरपी न तो भुगतान प्रक्रिया के नियमों का पालन कर रहे हैं और न ही प्रशासनिक आदेशों पर अमल हो रहा है। कई बार पत्राचार किया गया, पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।"
— बीके पटेल, जिला गन्ना अधिकारी
गन्ना समितियां बनेंगी कोर्ट में पक्षकार
किसान मजदूर संघर्ष समिति के सचिव मजहर खान ने गन्ना मूल्य भुगतान में देरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें गन्ना विकास विभाग, शुगर कमिश्नर, सिंभावली शुगर लिमिटेड, आईआरपी, तथा संबंधित बैंकों को पार्टी बनाया गया है।
अब गन्ना समितियों ने भी कोर्ट में हस्तक्षेप का मन बना लिया है। वे 26 अगस्त को प्रस्तावित सुनवाई में अपने अधिवक्ता के माध्यम से पक्ष रखेंगी। डीएम की ओर से भी आईआरपी को टेगिंग ऑर्डर व अन्य निर्देश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन भुगतान में कोई खास तेजी नहीं आई।
आईआरपी ने किया आरोपों से इनकार
इस बीच, आईआरपी अनुराग गोयल ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि चीनी बिक्री से प्राप्त राशि के अनुसार ही हर सप्ताह नियमानुसार भुगतान किया जा रहा है।
"गन्ना विभाग के आरोप आधारहीन हैं। कोर्ट से अब तक कोई औपचारिक नोटिस नहीं मिला है। जो जानकारी है, वह विभागीय माध्यम से ही प्राप्त हुई है।"
— अनुराग गोयल, आईआरपी
0 Comments