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गढ़मुक्तेश्वर। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गढ़गंगा में आयोजित होने वाला परंपरागत खादर मेला भले ही करीब आ रहा हो, लेकिन मेला क्षेत्र की जलजमाव से प्रभावित जमीन इस बार बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। गंगा का पानी घटने के बाद भी मैदान की स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। जिससे तैयारियों की रफ्तार प्रभावित हो रही है।
इस वर्ष 20 अक्तूबर से 5 नवंबर तक चलने वाले मेले में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। हर वर्ष की तरह इस बार भी गंगा किनारे स्नान घाट, तंबुओं की कतारें, अस्थायी सड़कें, पेयजल और प्रकाश व्यवस्था जैसी तमाम व्यवस्थाएं की जानी हैं। लेकिन हालिया बाढ़ के कारण मेला क्षेत्र में भरा पानी अब भी ज़मीन को दलदली बनाए हुए है।
बाढ़ के बाद कीचड़ बनी सबसे बड़ी रुकावट
बारिश और दो बार आई बाढ़ से मेला स्थल के साथ लगे खादर क्षेत्र में हजारों बीघा भूमि जलमग्न हो गई थी। अब भले ही पानी उतर चुका हो, लेकिन मिट्टी में नमी इतनी अधिक है कि भारी मशीनों की आवाजाही संभव नहीं हो पा रही। इससे सड़कों की मरम्मत, मंच निर्माण, बिजली के खंभे लगाना, और घाटों की सफाई जैसे काम अटके हुए हैं।
डीएम के निर्देश : समय से पहले पूरी हों तैयारियां
जिलाधिकारी द्वारा सभी विभागों को यह निर्देश दिए गए हैं कि मेला शुरू होने से पहले कम से कम एक सप्ताह पूर्व सभी प्रमुख कार्य पूरे कर लिए जाएं। लेकिन जमीन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए जिला पंचायत विभाग के लिए यह कार्य किसी चुनौती से कम नहीं है।
मेला अधिकारी देवी सहाय ने बताया कि “पानी तो उतर गया है, लेकिन जगह-जगह अब भी ज़मीन इतनी नरम है कि मशीनें फँसने का खतरा बना हुआ है। जैसे ही मिट्टी थोड़ी सख्त होगी, हम तेजी से कार्य शुरू कर देंगे।”
35 लाख श्रद्धालुओं के लिए होनी हैं व्यापक तैयारियां
प्रशासन का अनुमान है कि इस बार 35 लाख से अधिक श्रद्धालु गढ़गंगा पहुंचेंगे। उनके रुकने, स्नान करने और आवागमन की सुविधाओं के लिए करीब 50 किलोमीटर लंबी सड़कें, सैकड़ों अस्थायी हैंडपंप, घाटों की बैरिकेडिंग, अस्थायी पुल, और प्रकाश की व्यवस्था की जानी है।
मेला अधिकारी ने यह भी बताया कि जैसे ही मौसम अनुकूल होगा और जमीन सूखने लगेगी, सभी कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर तेज किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
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