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Saturday, August 23, 2025

धौलाना में भू-माफियाओं का बड़ा खेल उजागर, हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे ग्राम प्रधान



HALCHAL INDIA NEWS 

तहसील क्षेत्र धौलाना में सरकारी जमीन को लेकर वर्षों से चल रहे विवाद ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। ग्राम प्रधान अतीक अहमद ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिससे प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तनातनी की स्थिति पैदा हो गई है।

करोड़ों की सरकारी जमीन फर्जीवाड़े से बेची गई – ग्राम प्रधान का आरोप

ग्राम प्रधान का आरोप है कि ग्राम समाज की करोड़ों की जमीन पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया गया। बताया जा रहा है कि यह जमीन बाजार मूल्य पर लगभग 150 करोड़ रुपये की है, जिस पर दो निजी औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गई हैं और अब तक वहां करीब 400 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।

 


वर्षों पुरानी है जमीन विवाद की चिंगारी

यह मामला कोई नया नहीं है। ग्राम प्रधान के अनुसार, तीन साल पहले भू-माफियाओं ने सरकारी जमीन को अपने कब्जे में लेने के लिए जाली पट्टों और नकली दस्तावेजों का सहारा लिया। मामले में 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, वहीं मंडलायुक्त स्तर की जांच में भी पट्टे अवैध पाए गए थे।

आरोप: प्रशासन की मिलीभगत से मिली वैधता

सबसे गंभीर आरोप यह है कि तहसील स्तर के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व परिषद इलाहाबाद से इन फर्जी पट्टों को वैध घोषित करवा लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरी साजिश एक प्रभावशाली सिंडिकेट की कारस्तानी है, जिसमें बड़े स्तर पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग हुआ है।

 


हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा मामला, ग्रामीणों को न्याय की उम्मीद

ग्राम प्रधान द्वारा हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद, ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि अब उन्हें न्याय मिलेगा और ग्राम समाज की जमीन पुनः वापस दिलाई जाएगी। लोगों का कहना है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

प्रशासन का जवाब – कोर्ट से आदेश मिला तो होगी पुन: जांच

इस संबंध में पूछे जाने पर एसडीएम रेनू सिंह ने बताया कि "पूर्व में इस मामले की जांच कराई जा चुकी है। फिलहाल हमें कोर्ट में याचिका दायर होने की जानकारी नहीं है। यदि न्यायालय की ओर से कोई आदेश प्राप्त होता है तो सम्बंधित दस्तावेजों की दोबारा जांच कराई जाएगी।"

अब सबकी निगाहें न्यायपालिका पर टिकीं

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मानें तो यह प्रकरण केवल जमीन कब्जे का नहीं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र में पैठ बनाए बैठे भ्रष्ट तत्वों के गठजोड़ का प्रतीक है। अब देखना यह होगा कि न्यायपालिका इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या दोषियों को कानून के कटघरे तक पहुंचाया जा सकेगा।

निष्कर्ष:

धौलाना की यह जमीन विवाद की कहानी अब एक नए मोड़ पर है। हाईकोर्ट की दखल से न केवल मामले में न्याय की उम्मीद बढ़ी है, बल्कि यह मामला प्रदेशभर में ऐसे अन्य जमीन घोटालों के खिलाफ भी मिसाल बन सकता है।

 








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