HALCHAL INDIIA NEWS
हापुड़ — जीएसटी में हालिया दर बदलाव के बाद दवा विक्रेताओं, खासकर छोटे केमिस्ट-डीलरों ने सरकार से राहत की गुहार लगाई है। रासायनिक व औषधि व्यापारियों के स्थानीय संगठन ने कहा है कि नई दरें उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचा रही हैं, परंतु छोटे दुकानदारों के पास रखा पुराना स्टॉक अब भारी नुकसान का कारण बन गया है।
संगठन के जिलाध्यक्ष राजेंद्र गुर्जर ने बताया कि कई छोटे व्यवसायी या तो जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं या कंपोजिट स्कीम के तहत आते हैं, इसलिए वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा पाते। पिछले कुछ महीनों में ऊँची दरों पर खरीदी गई दवाइयाँ अब कम दरों पर ही बिक रही हैं, जिससे थोक लागत व बिक्री मूल्य में बड़ा अंतर बन गया है और व्यापारिक नुकसान बढ़ रहा है।
राजेंद्र गुर्जर ने स्पष्ट कहा, “छोटे विक्रेता अपनी जमा पूँजी को नहीं बचा पा रहे। यदि तत्काल राहत नहीं दी गई तो कई दुकानें बंद होने की कगार पर हैं।” उन्होंने जिला व राज्य सरकारों से आग्रह किया कि पुराने स्टॉक की बिक्री के लिए तीन माह की अस्थायी छूट दी जाए ताकि व्यापारी अपने पास पड़े माल को पुरानी MRP पर बेच सकें। साथ ही, उनका कहना है कि यदि स्थिति जटिल बनी रही तो विशेष वित्तीय पैकेज देने पर विचार किया जाए।
संगठन की प्रमुख माँगें
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पुराने स्टॉक को तीन माह तक पुरानी MRP पर बेचने की अनुमति।
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कंपोजिट व अनरजिस्टर्ड विक्रेताओं के लिए ट्रांज़िशनल राहत और टैक्स सहायता।
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यदि आवश्यक हो तो छोटे व्यापारियों के लिये विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा।
व्यापारियों का कहना है कि इन मांगों पर शीघ्र कदम न उठाये जाने पर सामूहिक हड़ताल या दुकानें बंद करने जैसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ सकता है — जो जिले भर में दवा आपूर्ति पर असर डाल सकता है।
स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है। व्यापारी प्रतिनिधि जल्द ही उच्च अधिकारियों के समक्ष अपनी सूचीबद्ध मांगें रखकर समाधान की मांग करेंगे।
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