HALCHAL INDIA NEWS
केंद्र द्वारा जीएसटी स्लैब में हालिया बदलाव लागू हो जाने के बावजूद हापुड़ के बाजारों में आम लोगों को सस्ती सामग्री नहीं मिल रही है। उपभोक्ता और थोक—खुदरा विक्रेता दोनों का कहना है कि कंपनियों ने दाम घटाने के बजाय पैकिंग व वजन में छेड़छाड़ कर दी है और कई दुकानदार पुराने स्टॉक पर पुराने दाम ही वसूल रहे हैं।
स्थानीय बाजारों की जाँच में पाया गया कि सस्ते होने की उम्मीद में आए ग्राहकों को अभी भी पुरानी कीमतों का सामना करना पड़ रहा है। कई ग्राहकों ने शिकायत की कि जहाँ जीएसटी कम हुआ है, वहीं दुकानदारों ने दाम घटाने की बजाय पैक साइज छोटा कर दिया है। छोटे सस्ते बिस्कुट उदाहरण के तौर पर अभी भी ₹5 के पैक में उपलब्ध हैं, लेकिन पैक में मात्रा घटा दी गई है — जिससे उपभोक्ता भ्रमित हैं।
वहीं दुकानदारों का तर्क है कि उन्होंने ब्रांड कंपनियों से महंगी दर पर माल खरीदा था, इसलिए पुराने स्टॉक को कम दाम पर बेचना उनके लिए नुकसानदेह है। एक स्थानीय किराना व्यापारी ने बताया, “हमने जो माल पहले लिया वो ऊँची दर पर आया था, उसे कम दाम पर बेचकर हम अपना काम नहीं चला पाएंगे। जैसे-जैसे पुराना माल समाप्त होगा, नई दरों के अनुसार लोग लाभ उठा पाएँगे।”
थोक बाजार के व्यापारी ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ फर्मों ने पहले कीमतें बढ़ाकर बिक्री की और बाद में जीएसटी कटौती का हवाला देकर मामूली कमी दिखाकर उपभोक्ताओं को भ्रमित किया। व्यापारी के अनुसार 850 ग्राम देसी घी की कीमतों में पहले उछाल आया, फिर थोड़ी गिरावट दिखाकर कीमतों को स्थिर किया गया — जिससे ग्राहकों को वास्तविक छूट नहीं मिली।
उपभोक्ता संगठन और बाजार समिति के प्रतिनिधि दोनों ने जिला प्रशासन व उपभोक्ता मामलों की विभाग से कंपनियों और वितरकों पर कड़ी निगरानी रखने की मांग की है। उनका कहना है कि टैक्स में कमी का असली लाभ सीधे दुकानों के शेल्फ तक पहुँचना चाहिए, न कि पैकेजिंग के खेल से छुपाया जाना चाहिए।
दुकानदारों ने भी सरकार से अपील की है कि कंपोजिट तथा अनरजिस्टर्ड विक्रेताओं की समस्या और ट्रांज़िशनल स्टॉक के लिए कोई अस्थायी नीति लाई जाए ताकि छोटे व्यापारियों को भारी आर्थिक झटका न लगे। व्यापारियों का कहना है कि बिना किसी मध्यवर्ती छूट के पुराना स्टॉक बेचते समय उन्हें बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
जिला प्रशासन ने फिलहाल आधिकारिक बयान नहीं दिया है, परन्तु जिम्मेदार सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से देखा जा रहा है और आवश्यकता पड़ी तो संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं। उपभोक्ता अधिकार समूह इस सप्ताह व्यापारी प्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच बैठक की मांग कर रहे हैं ताकि समस्या का त्वरित समाधान निकल सके।
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