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हापुड़: जिले भर के सरकारी अस्पतालों में महिला रोग विशेषज्ञ की किल्लत, मरीजों को निजी डॉक्टर बुलाने पर मजबूर


HALCHAL INDIA NEWS

हापुड़। जिले की आबादी 20 लाख के पार पहुँच चुकी है, लेकिन जन्म‑सम्बंधी जानकारियों और सेवाओं के लिए सरकारी व्यवस्था कमजोर दिख रही है। जिले के कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और जिला अस्पतालों में गंभीर स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते एक ही महिला रोग विशेषज्ञ को धौलाना और गढ़ जैसे केन्द्रों का दौरा करना पड़ रहा है। सिजेरियन जैसे जटिल प्रसव मामलों में भी यही विशेषज्ञ कई बार सीमित संसाधनों में सेवाएँ दे रही हैं।

जानकारों का कहना है कि हालात ऐसे हैं कि ओपीडी सामान्य एमबीबीएस चिकित्सक चला रहे हैं जबकि आपात स्थिति में मरीजों के परिजन को निजी चिकित्सक बुलाने की नौबत आ रही है। जिला अस्पताल हापुड़ में भी लगभग पांच महीनों से स्थायी महिला रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हुई है और संविदा डॉक्टरों पर ही संचालन निर्भर है।

सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन की संख्या निजी क्षेत्र की तुलना में न के बराबर दिखाई देती है — अनुमान के अनुसार केवल लगभग 10 प्रतिशत सर्जिकल प्रसव सरकारी संस्थानों में होते हैं। चिकित्सकों की कमी को ही इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है। इससे गर्भवती महिलाओं को उचित व समय पर उपचार न मिल पाने का जोखिम बढ़ रहा है और कई बार उन्हें महंगे निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।

पदाधिकारी बयान —

सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने कहा कि चिकित्सकों की कमी पर शासन को पत्र भेजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि महिलाओं का इलाज किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर निजी चिकित्सकों को बुलाकर सेवाएँ सुनिश्चित की जा रही हैं। इसके बावजूद स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों और लोगों का कहना है कि त्वरित भर्ती व संसाधनों की उपलब्धता जरूरी है, नहीं तो मातृ‑स्वास्थ्य स्थितियाँ और जटिल हो सकती हैं।

                                  

नागरिकों व स्वास्थ्यकर्मियों की चिंता —

अस्पतालों में तैनाती और पदों के खाली रहने से दूरदराज के इलाकों में रहने वाली महिलाएँ विशेषकर प्रभावित हो रही हैं। स्वास्थ्यकर्मियों का सुझाव है कि स्थायी भर्ती, संविदों के बजाय नियमित नियुक्ति और बेहतर प्राथमिक संसाधन (ऑपरेटिंग थियेटर, एनेस्थीसिया टीम इत्यादि) जल्दी सुनिश्चित किए जाएँ।