HALCHAL INDIA NEWS
हापुड़। शहर के नाले गंदगी और कचरे से जमे रहने के कारण हल्की बारिश में भी कई मुख्य मार्ग और बाजार जलमग्न हो जाते हैं। नगर पालिका द्वारा नाली सफाई पर खर्च किए जाने के दावों के बावजूद स्थानीय लोगों को रोजाना जलभराव का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले दिनों नगर निगम ने पांच बड़े नालों की सफाई का काम कराए जाने और इस पर करीब 25 लाख रुपये खर्च किए जाने की जानकारी दी थी। बावजूद इसके, शहर के कई हिस्सों में नाले अब भी कूड़ा और प्लास्टिक की थैलियों से भरे दिखते हैं, जिससे नालियाँ बार-बार जाम हो जाती हैं और पानी सड़कों पर ठहरा रहता है।
निष्प्रभ सफाई से प्रभावित इलाकों में गढ़ रोड, दिल्ली मार्ग, पुराने बाजार और भीतरी मोहल्ले प्रमुख हैं। शहर में कुल मिलाकर छोटे-बड़े लगभग 35 नालों की संख्या है और इनमें से कई खुले प्रकार के हैं, जिनमें रोजाना घरेलू कचरा फेंका जाता है। इससे बरसात के दौरान पानी की निकासी बाधित होती है और लोगों को आने-जाने में असुविधा के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ जाते हैं।
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी संजय मिश्रा ने कहा कि सफाई का काम नियमित रूप से कराया जा रहा है और हाल में हुए कार्य के फोटो भी उनके पास उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गढ़ रोड पर जो जलभराव दिख रहा है वह नालों की सफाई की कमी के कारण नहीं, बल्कि नाले के नए निर्माण कार्य के कारण अस्थायी रूप से हो रहा है। नगर प्रशासन का कहना है कि जहां आवश्यक है, वहां कार्य को शीघ्र पूरा कर पानी की निकासी दुरुस्त कर दी जाएगी।
वहीं स्थानीय व्यापारियों व निवासियों ने सफाई प्रक्रियाओं की गुणवत्ता पर प्रश्न उठाए हैं। कई लोगों ने बताया कि सफाई तो दिखावटी तरीके से हो रही है — बड़ी मशीनें और तात्कालिक निकासी के बाद दो‑तीन दिन में नाले फिर से जाम हो जाते हैं। ग्रामीण इलाकों और उपनगरीय कॉलोनियों में खुले नालों में पॉलिथीन व कूड़ा फेंकना भी सदैव समस्या बना हुआ है। वे मांग करते हैं कि नियमित सफाई के साथ‑साथ नालों को ढकने, नाले किनारे कूड़ा फेंकने पर रोक और जनता में जागरूकता अभियान चलाया जाए।
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