HALCHAL INDIA NEWS
हापुड़। सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ने के मद्देनज़र कृषि विभाग ने किसानों से फसल अवशेष व पराली जलाने से परहेज करने की अपील की है। विभाग ने कहा है कि पराली जलाने वालों पर क्षेत्रफल के अनुसार आर्थिक दंड लगाया जाएगा और उल्लंघन की पहचान अब सेटेलाइट निगरानी से भी की जाएगी।
किसान परंपरागत रूप से कुछ पराली पशुओं को खिलाते रहे हैं, पर इस बार मशीन आधारित कटाई के कारण खेतों में अधिक अवशेष जमा हैं। इससे विभाग को चिंता है कि पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है और इससे वायु गुणवत्ता प्रभावित होगी।
उप कृषि निदेशक योगेंद्र कुमार ने बताया कि खेतों में पराली जलाना न केवल प्रदूषण बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी घटती है। उन्होंने कहा, “किसानों को पराली खेतों में ही कृषि यंत्रों से निस्तारित करने के उपाय अपनाने चाहिए। विभाग ने सेटेलाइट के जरिए निगरानी शुरू कर दी है और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।”
जुर्माने की दरें (क्षेत्रफल के अनुसार)
2 एकड़ से कम: ₹2,500
2 से 5 एकड़: ₹5,000
5 एकड़ से अधिक: ₹15,000
कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे पराली को खेत में ही मल्चिंग या कम्पोस्टिंग के जरिए उपयोग में लाएँ, या कृषि यंत्रों से बायो‑निस्तारण करायें। इससे न केवल प्रदूषण घटेगा बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी। साथ ही विभाग ने ग्रामीणों से भी कहा है कि किसी भी पराली जलाने की सूचना मिलने पर संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
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